यूं तो दुनिया में छलांग लगाने का इतिहास सौ साल से भी ज्यादा पुराना है और अब कई जगहों पर इससे भी ज्यादा ऊंचाई से व्यावसायिक बंजी जंपिंग होती है, लेकिन ज्यादातर जंप टॉवर, इमारतों, पुलों, बांधों, प्रपातों वगैरह से होती हैं। जंपिंग हाइट्स में बंजी भारत के लिए पहली भी है और अनूठी भी। जंपिंग हाइट्स भारत का अपनी तरह का अकेला एडवेंचर जोन है और किसी शहरी जंगल की बजाय हिमालय की तलहटी में, प्रकृति की गोद में इसका होना इसकी विशेषता है। लेकिन काबिलेतारीफ तो यहां की हर चीज है। इतनी दुष्कर जगह पर इस तरह की सुविधा खडी कर देना हैरत में डालता है। यहां का ढांचा, सुविधाएं, स्टाफ, तकनीक व सुरक्षा इंतजाम, सब विश्वस्तर का है, जैसा आपको आम तौर पर भारत में देखने को नहीं मिलता। वो भी तब जबकि भारत में रोमांचक पर्यटन के लिए कोई दिशानिर्देश तय नहीं हैं। जंपिंग हाइट्स पूर्व सैन्य अफसर राहुल की परिकल्पना है जिन्होंने एनडीए व आईएमए के अपने साथी कर्नल मनोज रावत के साथ मिलकर इसे अमली जामा पहनाया। इस सपने को पूरा होने में चार साल का वक्त लगा। इसकी तकनीकी कुशलता व सुरक्षा इंतजामों से किसी तरह का समझौता न करते हुए न्यूजीलैंड से सबसे काबिल तकनीशियन, ऑपरेटर और जंप मास्टर्स बुलाए गए। यहां की बंजी न्यूजीलैंड के डेविड अलार्डिस ने डिजाइन की है जिन्होंने मकाऊ व नेपाल में भी बंजी डिजाइन कर रखी हैं। बता दूं कि न्यूजीलैंड को इस तरह के रोमांचक खेलों का गढ माना जाता है। लेकिन जंपिंग हाइट्स केवल बंजी जंपिंग नहीं है। वहां पंछियों की तरह उडने के लिए फ्लाइंग फोक्स भी है और वादी में झूला झुलाने के लिए जियांट स्विंग भी। और, रोमांचक ये दोनों भी कम नहीं। क्या बला है बंजी जंपिंग
सीधे शब्दों में कहें तो पांवों से रबर की रस्सी बांधकर कूदने को कहा जाता है- बंजी जंपिंग। रस्सी में लोच होता है जिसके चलते कूदने के बाद आप कुछ देर तक हवा में उछलते रहते हैं। फिर जैसी जगह हो, आपको या तो रस्सी में ढील देकर नीचे उतार लिया जाता है और अगर यह मुमकिन न हो ऊपर खींच लिया जाता है। सतह से कूदने की जगह की ऊंचाई जितनी बढती जाएगी, रोमांच भी बढता जाएगा। पीठ, हड्डी या रक्तचाप की तकलीफ वाले लोगों के लिए यह दुष्कर है। मकाऊ टॉवर से दुनिया की सबसे ऊंची बंजी जंपिंग कराई जाती है जो 233 मीटर की छलांग है। इसके अलावा स्वीडन के वर्जास्का बांध से 220 मीटर, दक्षिण अफ्रीका में ब्लोक्रैंस ब्रिज से 208 मीटर और ऑस्ट्रिया में यूरोपाब्रक ब्रिज से 192 मीटर की जंप होती है। ये सब जगहें वो हैं जहां से कमर्शियल जंप होती हों। वैसे सबसे ऊंची बंजी जंप अमेरिका के कोलोराडो में रॉयल गॉर्ज ब्रिज से है (321 मीटर), लेकिन यहां से केवल खास मौकों पर दुर्लभ जंप की ही इजाजत है।
भारत का पहला एडवेंचर जोन
जंपिंग हाइट्स ऋषिकेश से लगभग 15 किलोमीटर दूर मोहनचट्टी गांव के निकट है। आधा रास्ता वही है जो नीलकंठ जाता है। आप चाहें तो अपने वाहन से जा सकते हैं, वरना लक्ष्मण झूले के दूसरी ओर जंपिंग हाइट्स की लग्जरी बसें आपको ले जाने के लिए सवेरे 8.30 बजे से दोपहर 2.30 बजे तक हर आधे घंटे में तैयार रहती हैं। वहां रुकने की व्यवस्था नहीं है, इसलिए रुकने का इंतजाम ऋषिकेश में ही करें। जंपिंग हाइट्स में बंजी के अलावा दो और रोमांच हैं- फ्लाइंग फोक्स और जियांट स्विंग। ये दोनों भी भारत के लिए अनूठे हैं। फ्लाइंग फोक्स तो एशिया की सबसे लंबी है। सभी के लिए कम से कम 12 साल की उम्र होनी चाहिए। सेहत को लेकर भी मानक सख्त हैं। यह भी ध्यान रखें कि बंजी के बाद नीचे से ऊपर आने के लिए और फ्लाइंग फोक्स प्लेटफार्म तक जाने-आने के लिए थोडी पहाडी चढनी-उतरनी पडती है। जंपिंग हाइट्स परिसर में शानदार कैफेटेरिया और बाकी काबिलेतारीफ सुविधाएं मौजूद हैं। साथ ही जंपिंग हाइट्स की यादें लाने के लिए एक सोवेनियर शॉप भी है। दरें ज्यादा लग सकती हैं, लेकिन फिर रोमांच की थोडी कीमत तो चुकानी ही पडती है। आखिर जंपिंग हाइट्स को शुरू हुए दो ही महीने हुए हैं लेकिन कई रोमांचप्रेमी केवल इसके बारे में जानकर ऋषिकेश में डेरा डालने लगे हैं। रिवर राफ्टिंग जोड लें तो ऋषिकेश इस समय एडवेंचर पर्यटन के गढ के रूप में उभर रहा है।