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Sunday, March 31, 2013

जोधपुर में क्या खास


खान-पान
राजस्थान के शहर अपने स्वादिष्ट व्यंजनों का अलग आकर्षण रखते हैं। जोधपुर की कचौडिय़ां (विशेषकर प्याज की) खाना न भूलें। इसके अलावा मोतीचूर के मशहूर जोधपुरी लड्डू भी आपको कहीं और नहीं मिलेंगे। खाने के अलावा जोधपुर की बंधेज की साडिय़ां और लाख की चूडिय़ां बहुत मशहूर हैं।
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The Gateway, Jodhpur
कैसे व कहां
जोधपुर में राजसी शान से छुट्टियों बिताने के साथ-साथ कम खर्च में रुकने के कई अवसर हैं। रेलवे स्टेशन के पास और शहर में घंटाघर के पास कई सस्ते होटल हैं। वहीं ताज समूह के उम्मेद भवन जैसे हैरीटेज लग्जरी और विवांता व द गेटवे सरीखे शानदार होटल भी हैं। अब यह आपकी पसंद है कि आप शहर की हलचल के बीच रहना चाहते हैं या थोड़ा दूर शांत इलाके में।
जोधपुर हवाई अड्डा दिल्ली व मुंबई से रोजाना सीधी कई उड़ानों से जुड़ा है। इसके अलावा यहां से जयपुर, दिल्ली, व अहमदाबाद से सीधी ट्रेन भी हैं। जोधपुर की एक और खासियत यह है कि यह राजस्थान के पर्यटन सर्किट के मध्य में है। यहां से जयपुर, उदयपुर, जैसलमेर व बीकानेर लगभग तीन-तीन सौ किलोमीटर की बराबर दूरी पर हैं।
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Revolutions concert at The Gateway, Jodhpur
इवेंट्स का नया गढ़
जोधपुर बड़ी तेजी से आयोजनों के गढ़ के रूप में भी उभर रहा है। इसी महीने के शुरू में उम्मेद भवन में राजसी वस्तुओं की नीलामी में देश की जानी-मानी शख्सियतें जुटीं। उससे पिछले महीने 22 से 24 फरवरी को यहां वल्र्ड सूफी फेस्टिवल हुआ। पिछले दो सालों से जोधपुर में शरद ऋतु में राजस्थान इंटरनेशनल फोक (लोक गायन) फेस्टिवल हो रहा है। इसी कड़ी में पिछले दिनों जोधपुर में ताज समूह के द गेटवे होटल में रिवोल्यूशन सीरीज का पांचवा कंसर्ट हुआ। रिवोल्यूशन बैंड लीजेंडरी बीटल्स को समर्पित है।

इन गर्मियों के दस मुकाम


इन गर्मियों की छुट्टियों में सैर-सपाटे के लिए पेश हैं दस थीम और उनके लिए दस जगहें। कुछ देश में तो कुछ बाहर... कुछ खर्चीली तो कुछ जेब के माफिक... कुछ जांची-परखीं और कुछ नईं, लेकिन हरेक एक-दूसरे से बढ़कर खूबसूरत व रोमांचक। चुनिए अपनी पसंद की छुट्टियां।

Monastry in Bhutan
एक्सप्लोर: भूटान
हमारे पड़ोस का यह छोटा सा अनजाना देश
एक ऐसा देश जहां का युवा राजा आपको अपने देश की सड़कों पर साइक्लिंग करता मिल जाएगा, भूटान हमारे लिए बेहद नजदीक है, बेहद जाना-पहचान लेकिन थोड़ा अनजाना भी। भूटान ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए तो स्वर्ग सरीखा माना ही जाता है, साथ ही नई जगहों और नई संस्कृतियों को जानने-समझने वालों के लिए भी यह बेहद रोमांचकारी जगह है। यह देश महायान बौद्धों की वज्रयान धारा के आखिरी गढ़ के रूप में माना जाता है, जिसे तांत्रिक बौद्ध परंपरा भी कहा जाता है। महज सात लाख की आबादी वाला यह देश राजशाही के साथ-साथ तमाम प्राचीन परंपराओं को अब भी अपने सीने से लगाए हुए है। यहां के गोम्पाओं की सैर से आपको इसका अहसास हो जाएगा। हिमालय की मानो गोद में बसे इस देश का राष्ट्रीय खेल तीरंदाजी है। यहां का सत्तर फीसदी से ज्यादा इलाका जंगलों से ढका है। इसीलिए यहां की संस्कृति के साथ-साथ यहां का दुर्लभ वातावरण भी दुनियाभर के सैलानियों को लुभाता है। मार्च से मई और सितंबर से नवंबर का समय जाने के लिए सर्वोत्तम।
कैसे जाएं: तीन तरफ से भारत और उत्तर में तिब्बत से घिरे भूटान में केवल एक ही अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पारो में है। सात हजार फुट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित यह हवाई अड्डा अगल-बगल में 16 हजार फुट तक की ऊंचाई वाली पहाडि़यां हैं। पारो से दिल्ली, कोलकाता, गुवाहाटी व बोधगया के लिए सीधी उड़ान हैं। पारो से काठमांडू की उड़ान दुनिया की सबसे ऊंची पांच चोटियों में से चार के ऊपर से होकर गुजरती है। इसके अलावा आप पश्चिम बंगाल में बागडोगरा एयरपोर्ट या न्यूजलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन से सड़क के खूबसूरत रास्ते भी भूटान में फुंटशोलिंग जा सकते हैं। वहां से राजधानी थिम्फू पहुंचने में छह घंटे से ज्यादा लगेंगे। इसके अलावा दक्षिण भूटान में गेलेफू और असम की तरफ सामद्रूप जोंगखार से भी सड़क के रास्ते भूटान में प्रवेश किया जा सकता है। भारतीयों को यहां वीजा नहीं चाहिए होता।

लग्जरी: दुबई
शानो-शौकत का दूसरा नाम
दुबई हमेशा से भारतीयों के लिए शानो-शौकत व बेशुमार दौलत की जगह के रूप में रहा है। दुनिया में वैभवशाली शहरों का कोई प्रतिमान ढूंढना हो तो दुबई से बेहतर कोई नहीं। तेल की अकूत संपदा ने वहां हर वो चीज ला खड़ी की है जिसकी कल्पना की जा सकती है। इसीलिए जब दुनिया घूमने की बात होती है तो उसमें दुबई सबसे ऊपर होता है। हरियाली की कमी होने के बावजूद रेगिस्तान के इस शहर को धरती का जन्नत कहा जा सकता है। आज दुबई के पास दुनिया के सबसे ऊंचे और सर्वाधिक कमरों वाले होटल हैं। इसके अलावा दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा (829.84 मीटर) और दुबई शापिंग माल उसकी शोहरत में चार चांद लगाने के लिए काफी हैं। दुबई माल सहित पूरे दुबई में कुल सत्तर शापिंग माल है जो दुनिया के किसी मुल्क के इक्का-दुक्का शहरों में ही हैं। आलम यह है कि यहां पूरे सालभर विदेशी पर्यटकों की यहां भरमार रहती है। तेज भागती कारों के बीच भी यह शहर इतना शांत रहता है कि पर्यटकों की छुट्टियां कब बीत जाती हैं उन्हें पता ही नहीं चलता।
कैसे जाएं: खाड़ी के देशों में भारतीयों की बड़ी संख्या में मौजूदगी की वजह से दुबई उन जगहों में से है जहां के लिए भारतीय शहरों से सबसे ज्यादा उड़ानें हैं। खाली दिल्ली से ही दुबई के लिए रोजाना कम से कम दस सीधी उड़ान हैं। सफर लगभग पौने चार घंटे का है। इसी तरह भारत के कई अन्य महानगरों से दुबई के लिए उड़ानें हैं। 15 हजार रुपये से लेकर 18 हजार रुपये तक में आपको दुबई का वापसी हवाई टिकट मिल सकता है।

Shopping street in Hongkong
शॉपिंग: हांगकांग
यहां जो चाहें सो पाएं
हांगकांग को एशिया के सबसे पसंदीदा शॉपिंग डेस्टिनेशन में से एक माना जाता है। पिछले डेढ़ सौ सालों से हांगकांग विश्व व्यापार के मुख्य केंद्रों में से रहा है। पहले ब्रिटेन और अब चीन के आधिपत्य में भी उसकी वह लोकप्रियता अब भी कायम है। जिन लोगों को शॉपिंग पसंद है, उनके लिए हांगकांग की गगनचुंबी इमारतों में स्थित एक से बढ़कर एक मॉल स्वर्ग सरीखे हैं। हर तरह की चीजें और हर तरह की जगहें। चाइनीज स्नैक्स व ब्रू, कंप्यूटर व इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन व ब्यूटी, होम डेकोरेशन व फर्नीचर, ज्वैलरी व घडि़यां, शेड्स, पारंपरिक क्रॉकरी व कपड़े... हांगकांग आईलैंड में एडमिरल्टी, कॉजवे बे, शेंग वान, स्टेनले, वान चाई, सिम शा सुई, कोलून ईस्ट व वेस्ट, मोंग कोक, शाम शुई पो, याऊ मा तेई व लंताऊ शॉपिंग के प्रमुख इलाके हैं। इनमें भी तमाम शॉपिंग मॉल हैं जहां सुई से लेकर कार तक सब एक छत के नीचे मिल जाएंगे। बस हांगकांग पहुंचते ही निगाह शॉपिंग फेस्टिवल और तमाम प्रोमोशन पर रखें ताकि यथासंभव डिस्काउंट पा सकें। हांगकांग के कई बाजारों में, खास तौर पर छोटी दुकानों व फुटपाथ बाजारों में आप भारत की तरह ही बार्गेनिंग भी कर सकते हैं।
कैसे जाएं: हांगकांग के लिए भारत के कई बड़े शहरों से रोजाना कई सीधी उड़ानें हैं। दिल्ली से हांगकांग के लिए वापसी किराये की शुरुआत 15 हजार रुपये से हो जाती है।

Fantasia in Phuket
फन: फुकेत
मौज मस्ती का गढ़ अब पहुंच में 
वैसे तो पूरा थाईलैंड मस्ती के अलग-अलग रंगों से सजा है। लेकिन उनमें भी फुकेत सबसे खास है। फुकेत थाईलैंड का सबसे बड़ा द्वीप है। दुनिया के कई सबसे खूबसूरत समुद्र तटों में से एक इसके आसपास हैं। सैलानियों के बीच फुकेत का इतना बड़ा आकर्षण है कि पर्यटन ने इसे थाईलैंड का सबसे समृद्ध इलाका बना दिया है। किसी चहकते तटीय शहर के सारे गुण इसमें हैं। बीच पर तमाम तरह की गतिविधियां का मजा लिया जा सकता है, जिनमें स्नोर्कलिंग, डाइविंग, जेट-स्कीइंग, पैरासेलिंग आदि प्रमुख हैं। थाईलैंड के बीच रिजॉर्टों में से पत्रया के बाद फुकेत की नाइटलाइफ सबसे चमक-दमक वाली है।  यहां भी पाटोंग बीच सबसे सक्रिय है। गो-गो बार के अलावा यहां कई अन्य बार, डिस्को व रेस्तरां भी हैं। फुकेत के तमाम बीचों पर प्रसिद्ध थाई मसाज या फुट मसाज का भी आनंद लिया जा सकता है। यहां का थीम पार्क फेंटेसिया 140 एकड़ में फैला है और अद्भुत स्टेज प्रदर्शनों और स्पेशन इफेक्ट्स के जरिये थाई संस्कृति से आपको रु-ब-रु कराता है। यहां के आनंद में आपको लास वेगास जैसा आभास होगा। इसके अलावा भी यहां कई और फन व थीम पार्क हैं।
कैसे जाएं: अभी तक फुकेत जाने के लिए पहले बैंकाक जाना होता था। लेकिन अब दिल्ली व मुंबई से सप्ताह में दो बार थाई एयरवेज की थाई स्माइल सेवा की सीधी उड़ानें हैं। दरअसल भारत में किसी शहर से फुकेत के लिए यह पहली सीधी उड़ानें हैं। यानी अगर आपको केवल फुकेत जाकर अपनी छुट्टियां बितानी हैं तो उसके लिए बैंकाक जाने की कोई जरूरत नहीं। समय व धन, दोनों की बचत है। लेकिन अगर आप बैंकाक घूमकर फुकेत जाना चाहते हैं तो बैंकाक से फुकेत के लिए उड़ानें भी हैं और बसें भी। इसके अलावा फुकेत कई क्रूज जहाजों के रास्ते पर भी है। यानी आप सिंगापुर या पेनांग से समुद्र के रास्ते किसी क्रूज पर भी फुकेत आ सकते हैं।

Rhinos at Dudhwa
वाइल्ड: दुधवा
इस जंगल से प्रेम हो जाए
दुधवा टाइगर रिजर्व टाइगर के लिए तो देश में प्रसिद्ध है ही, असम में काजीरंगा के बाद देश में वह अकेली जगह है जहां एक सींग वाला गैंडा पाया जाता है। आप हाथी पर बैठकर यह गैंडा नजदीक से देख सकते हैं। लेकिन दुधवा की एक बड़ी खासियत उसका जंगल भी है। यहां के जंगल सरिस्का, कॉर्बेट, रणथंबौर या बांधवगढ़ के जंगलों से काफी अलग हैं। यहां का जंगल इतना घना है कि जंगल में बने सफारी के रास्ते के अगल-बगल जानवरों को ढूंढना बहुत मुश्किल होता है। आप टाइगर यहां तभी देख सकते हैं, जब वो जंगल से निकलकर आपके रास्ते में आ जाए। दुधवा टाइगर पार्क के दो हिस्से हैं- दुधवा रेंज और कतर्निया घाट रेंज। दुधवा जाने वाले ज्यादातर सैलानी दुधवा रेंज तक ही सीमित रह जाते हैं। कतर्निया घाट रेंज एक अछूते जंगल की तरह है। गिरवा और कौडियाला नदियां इस सेंक्चुअरी से होकर गुजरती हैं। बाद में ये दोनों नदिया मिलकर घाघरा बन जाती हैं। टाइगर के अलावा घडि़याल व डॉल्फिन के लिए भी यहां जाया जा सकता है।
कैसे पहुंचे: दुधवा नेशनल पार्क उत्तर प्रदेश के खीरी जिले में पलिया तहसील में पड़ता है। सबसे निकट का हवाई अड्डा लखनऊ में है। लखनऊ से सड़क के रास्ते लखीमपुर, मैलानी व पलिया होते हुए दुधवा की दूरी लगभग 220 किलोमीटर है। लखनऊ से इसी रास्ते दुधवा तक छोटी लाइन की ट्रेन भी चलती है। इस रेल लाइन का काफी रास्ता टाइगर रिजर्व के बीच में से होकर निकलता है। वैसे दुधवा के सबसे निकट का बड़ा रेलवे स्टेशन दिल्ली-लखनऊ रेल मार्ग पर शाहजहांपुर है। वहां से मैलानी होते हुए दुधवा महज 107 किलोमीटर है। कतर्निया घाट के लिए एक रास्ता दुधवा के बीच से भी होकर निकलता है। मुख्य रास्ता दुधवा से वापस पलिया होकर है। सीधे कतर्निया जाना हो तो बहराइच से वह 86 किलोमीटर दूर है।

Guru Dongmar Lake
एडवेंचर: सिक्किम
17,000 फुट पर झील की सैर
यूं तो समूचा सिक्किम रोमांचक पर्यटन का गढ़ है, लेकिन हम यहां बात कर रहे हैं उत्तर सिक्किम में स्थित गुरुडोंगमार लेक की। यहां से चीन की सीमा महज पांच किलोमीटर दूर है। गुरु डोंगमार लेक दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित झीलों में से एक है। 17 हजार फुट से भी ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित यह झील नवंबर से लेकर मई की शुरुआत तक जमी रहती है। यह झील कंचनजंघा रेंज के उत्तर-पूर्व में स्थित है। इससे निकलने वाली एक धारा तीस्ता नदी के लिए उद्गम का काम भी करती है। तीस्ता नदी दरअसल शो लामो झील से निकलती है जो गुरु डोंगमार लेक से पांच किलोमीटर दूर है। आप दोनों झीलों के बीच ट्रैक कर सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको सेना से पहले इजाजत लेनी होती है क्योंकि सीमा के नजदीक होने से इसे संवेदनशील इलाका माना जाता है। गुरु डोंगमार दरअसल बौद्ध गुरु पद्मसंभव का ही नाम है। सिक्किम के बौद्ध मतावलंबी पद्मसंभव की पूजा करते हैं। माना जाता है कि पद्मसंभव ने यहां तंत्र साधना की थी। इस झील का संबंध गुरु नानक देव से भी माना जाता है। यहां झील के किनारे एक सर्वधर्म प्रार्थना स्थल भी है। यहां ठंड बहुत होती है और हवा बहुत कम। जाने के लिए खुद को तैयार करना होता है। यहां ज्यादा देर रुका भी नहीं जा सकता। एक ऐसा एडवेंचर जो सबके लिए सुलभ है।
कैसे पहुंचे: समूचे सिक्किम के लिए हवाई जहाज से पहुंचने का जरिया केवल बागडोगरा के रास्ते और ट्रेन से पहुंचने का रास्ता न्यू जलपाई गुड़ी से है। न्यूजलपाई गुड़ी से गंगटोक का सफर सड़क मार्ग से करना होता है। बागडोगरा से गंगटोक तक हेलीकॉप्टर की सेवा भी है। गंगटोक से मंगन होते हुए उत्तर सिक्किम में लाचेन पहुंचना होता है। लाचेन से एक रास्ता युमथांग और दूसरा गुरुडोंगमार जाता है। बस-टैक्सी उपलब्ध हैं।

Beaches of Mauritius
बीच: मॉरीशस
समुद्र का निराला संसार
दुनिया के बीच डेस्टिनेशन में जिन जगहों को मुख्य रूप से गिना जाता है उनमें मॉरीशस टॉप पर है। हिंद महासागर के नीले गहरे पानी में स्थित मॉरीशस अनूठा है। रंग, संस्कृति और स्वाद में जो विविधता यहां है, वह यहां गुजारे पलों को यादगार बना देती है। इसकी भौगोलिक स्थिति एेसी है कि लगभग पूरे साल यहां का मौसम लगभग एक सरीखा रहता है। ना बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है और न ज्यादा ठंड। दिसंबर से मार्च के महीने सबसे ज्यादा बारिश वाले होते हैं, इसलिए उनको छोड़कर बाकी पूरे साल यहां कभी भी जाया जा सकता है। मॉरीशस के सफेद रेतीले तट कोरल रीफ बैरियर से सुरक्षित हैं। यहां का लगभग समूचा तट कोरल रीफ से घिरा है, सिवाय दक्षिणी सिरे के कुछ अपवाद को छोड़कर। इसीलिए बाकी तटों पर समुद्र जहां शांत होता है, वहीं दक्षिणी हिस्से में वह बहुत अशांत है। वहां चत्रनी तट पर समुद्र की पछाड़ें देखकर आप मुग्ध हो सकते हैं। मॉरीशस के मुख्य द्वीप के चारों ओर कई छोटे-छोटे निर्जन द्वीप भी हैं। हम भारतीयों के लिए मॉरीशस उन जगहों में से है, जहां से हमारा भावनात्मक लगाव है। हमारी संस्कृति साझी है और लोग भी। राजधानी पोर्ट लुई पश्चिमी तट पर स्थित है। उत्तर का इलाका मैदानी है और यहां देश के कई सबसे खूबसूरत बीच हैं। समुद्र तटों की रंगीनियत भी सबसे ज्यादा इसी इलाके में है। वहीं पूर्वी मॉरीशस के समुद्र तट सुकून से कुछ पल बिताने के लिए हैं। यहां के समुद्र तट की खूबसूरती खोह और लैगून में हैं। यहां ब्लू बे और बेले मेरे सबसे लोकप्रिय समुद्री इलाकों में से हैं। उधर पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी तट रोमांच प्रेमियों के लिए स्वर्ग हैं। यहां आप सर्फिंग, स्नोर्कलिंग, डीप शी फिशिंग, जैसे ज्यादातर समुद्री खेल का आनंद आप ले सकते हैं। यहां टेमेरिन बे के आसपास आप डॉल्फिन भी देख सकते हैं। दक्षिणी इलाके का रंगरूप बाकी देश से पूरी तरह अलग है। ग्रिस-ग्रिस ही मॉरीशस के समुद्री तट का अकेला ऐसा इलाका है जहां कोरल रीफ नहीं हैं। वहां किनारे ऊंची पहाडि़यां और गहरी खाइयां देखने को मिल जाएंगी। मॉरीशस का भीतरी इलाका संस्कृति के विभिन्न रंगों से रंगा है। यहां की शिवरात्रि आपको भारत की शिवरात्रि जैसी ही लगेगी।
कैसे जाएं: मॉरीशस के लिए दिल्ली व मुंबई आदि शहरों से कई एयरलाइंस की उड़ानें हैं। दिल्ली से मॉरीशस की सीधी उड़ान लगभग साढ़े सात घंटे का समय लेती है। कई उड़ानें दुबई के रास्ते भी हैं। मॉरीशस का वापसी किराया दिल्ली से 26 हजार रुपये से शुरू हो जाता है। मॉरीशस जाना बेशक महंगा है लेकिन वहां रुकने के लिए लग्जरी रिजॉर्ट के अलावा बजट होटल भी बड़ी आसानी से मिल जाएंगे।

Venice
रोमांटिक: वेनिस
दो लफ्जों की है इसकी कहानी
बॉलीवुड के दीवाने हिंदुस्तानी इस अनूठी जगह को अमिताभ बच्चन-जीनत अमान पर फिल्माए गए ग्रेट गैम्बलर फिल्म के उस बेहद लोकप्रिय गीत से बाखूबी पहचानते हैं। वेनिस की गलियों (यानी नहरों) में गंडोला पर सैर दुनिया में सबसे रोमानी कल्पनाओं में से एक मानी जाती है। वेनिस अद्भुत शहर है। इटली का यह शहर या तो नावों पर घूमा जा सकता है या फिर पैदल। यह शहर भी अपने आप में 117 द्वीपों का समूह है। एक उथले लैगून में 177 नहरों से ये द्वीप बने हैं और आपस में चार सौ से ज्यादा पुलों से जुड़े हैं। नहरों की यह संरचना वेनिस से इस कदर जुड़ी हुई है कि दुनियाभर में किसी भी शहर में इस तरह की संरचना को नाम वेनिस से ही मिलता है। पूरी तरह पानी पर बसा यह शहर दुनियाभर के सैलानियों में इतना लोकप्रिय है कि तीन लाख से भी कम आबादी वाले शहर में रोजाना किसी भी वक्त कम से कम पचास हजार सैलानी मौजूद होते हैं। कोई हैरत की बात नहीं क्योंकि वेनिस की गिनती दुनिया के सबसे खूबसूरत शहरों में होती है। अपनी कला, शिल्प, फैशन व संगीत के लिए भी वेनिस की दुनियाभर में लोकप्रियता है। उतना ही मशहूर यहां का थिएटर भी है। शहर की संरचना कितनी अनूठी है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मुख्य वेनिस लगभग छह सौ सालों से लगभग वैसा ही है।
कैसे पहुंचे: वेनिस के भीतर तो सबकुछ पानी पर है। लेकिन इटली की मुख्य भूमि से वेनिस के उत्तरी सिरे तक पहुंचने के लिए सड़क व रेल संपर्क, दोनों ही हैं। वेनिस के लिए हवाई अड्डा समुद्र के उस पार इटली की मुख्य भूमि में मेस्त्रे के निकट मार्को पोलो हवाई अड्डा है। यूरोप में म्यूनिख, पेरिस व विएना के अलावा मास्को तक से सीधी ट्रेनें हैं। रोम व मिलानो का सफर भी वेनिस से कुछ ही घंटे का है। वेनिस का कार पार्क यूरोप का सबसे बड़ा कार पार्क है क्योंकि वेनिस आने वाली सभी कारें वहीं तक आ सकती हैं, शहर के भीतर नहीं।

Jag Niwas in Pichola Lake at Udaipur
शाही: उदयपुर
यहां का हर अंदाज राजसी है
झीलों की नगरी कहे जाने वाले उदयपुर को विदेशी सैलानियों में भारत के सबसे लोकप्रिय शहरों में से एक कहा जा सकता है। छोटा सा खूबसूरत शहर अपने इतिहास के लिए बहुत प्रसिद्ध है, खास तौर पर महाराणा प्रताप से जुड़े इतिहास के लिए। हालांकि राणा प्रताप को अपने जीवन में राजसी सुख कम ही मिला लेकिन उदयपुर घूमने आने वाले सैलानियों के लिए अब राजसी विलास जमकर है। दुनिया की कई सबसे खूबसूरत व लग्जरी होटलें उदयपुर में हैं। इनमें पिछोला झील में स्थित लेक पैलेस होटल, इसी झील के दूसरे किनारे स्थित नई बनी उदय विलास होटल और राजपरिवार के निजी निवास में बनी शिव निवास पैलेस होटल शामिल है। दरअसल उदयपुर शहर के आसपास राजे-रजवाड़ों की सैकड़ों साल पुरानी कई संपत्तियां अब होटलों में तब्दील हो चुकी हैं। उनकी बनावट, मेहमानवाजी, साज-सच्चा, खान-पान, ये सब कुछ एक राजसी अनुभव देते हैं। उदयपुर शहर की खूबसूरती को देखने के अलावा सैलानी इस राजसी अनुभव को लेने भी आते हैं।
यही वजह है कि दुनियाभर के सेलेब्रिटी अपनी शादियों व अन्य निजी आयोजनों के लिए उदयपुर आते हैं। देवीगढ़ ने इसकी शुरुआत की। पिछौला झील में ही जग मंदिर में रवीना टंडन की शादी हम सबको याद होगी।  जग मंदिर रानियों की सैरगाह रहा है। आज यह हाई क्लास इवेंट्स का केंद्र है। इन राजसी ठाठ-बाट का असर यह है कि शहर की कई पुरानी हवेलियां भी हेरीटेज होटलों में तब्दील हो चुकी हैं। इसलिए जो लग्जरी होटलों में नहीं रुक सकते, वे इन होटलों में रुक सकते हैं। उदयपुर शहर में तीन बड़ी झीलें हैं- पिछौला झील, फतेह सागर और स्वरूप सागर। इसके अलावा दूध तलाई है। ये सारी झीलें आपस में जुड़ी हैं। रुकने की इन जगहों के अलावा उदयपुर में कई रेस्तरां झीलों के किनारे हैं। वहां के माहौल में पारंपरिक खाने का अनुभव भी राजसी है।
कैसे जाएं: उदयपुर दिल्ली से मुंबई जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर स्थित है। दिल्ली से इसकी दूरी लगभग साढ़े सात सौ किलोमीटर है। दिल्ली, जोधपुर, जयपुर, अहमदाबाद व मुंबई से उदयपुर के लिए सीधी ट्रेनें हैं। साथ ही दिल्ली, मुंबई समेत कई शहरों से उदयपुर के डबोक हवाई अड्डे के लिए रोजाना सीधी उड़ानें भी हैं।

Beauty of Himalayas
पहाड़: नेपाल
सब तरफ नजारा हिमालयी है
एवरेस्ट की धरती नेपाल किसी परिचय का मोहताज नहीं। हम भारतीयों का नेपाल से वैसे भी भावनात्मक रिश्ता सा है। हिमालय का आकर्षण दुनियाभर से सैलानियों को नेपाल खींच लाता है। यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी नेपाल के लिए आय के सबसे बड़े जरियों में से है। नेपाल में सैलानी पहाड़ व नदी से जुड़ी हर गतिविधि का रोमांच ले सकते हैं। इनमें पर्वतारोहण, ट्रैकिंग, रॉक क्लाइंबिंग, राफ्टिंग, जंगल सफारी, पैराग्लाइंडिंग, माउंटेन फ्लाइट, माउंटेन बाइकिंग, बंजी जंपिंग आदि सब शामिल है। काठमांडू घाटी के अलावा पोखरा, चितवन, लुंबिनी, जनकपुर, एवरेस्ट क्षेत्र, अन्नपूर्णा रेंज, लंगतांग क्षेत्र आदि में पहाड़ का मजा लिया जा सकता है। जोखिमभरी होने के बावजूद काठमांडू से लुकला तक की उड़ान समय बचाने के लिए बहुत पसंद की जाती है। लुकला से ही एवरेस्ट की चढ़ाई शुरू होती है। इसके अलावा नेपाल में कई जगहों से एवरेस्ट देखने के लिए अल्ट्रालाइट या माइक्रोलाइट विमानों से सैर भी कराई जाती है।
कैसे जाएं: भारतीयों को नेपाल जाने के लिए न पासपोर्ट चाहिए होता है और न वीजा। उसके अलावा उत्तराखंड के कुमाऊं इलाके से लेकर उत्तर प्रदेश व बिहार तक सड़क मार्ग से नेपाल जाने के कई रास्ते हैं। विदेश जाने का क्या शानदार तरीका है। राजधानी काठमांडू के लिए भारत के कई शहरों से सीधी उड़ान भी है। एवरेस्ट की चढ़ाई बेशक महंगी है लेकिन नेपाल में रुकने व घूमने के कई सस्ते विकल्प हैं। लेकिन भीतरी इलाकों में रास्ते अभी और बेहतर किए जा सकते हैं।